26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की हिरासत पर कोर्ट का फैसला सुरक्षित
26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की 12 दिन की हिरासत बढ़ाने की एनआईए याचिका पर दिल्ली कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। जांच में नए खुलासे।
नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के प्रमुख आरोपी तहव्वुर राणा की हिरासत को 12 दिन और बढ़ाने की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। राणा को सोमवार, 28 अप्रैल 2025 को विशेष एनआईए जज चंदर जीत सिंह के समक्ष पेश किया गया, जहां सुनवाई इन-कैमरा (बंद कमरे) में हुई। राणा की 18 दिन की हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद, एनआईए ने उनकी पूछताछ के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है। कोर्ट जल्द ही इस पर अपना आदेश सुनाएगी।

सुनवाई का विवरण
एनआईए की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान ने कोर्ट में दलीलें पेश कीं। एजेंसी ने तर्क दिया कि राणा की हिरासत आवश्यक है ताकि 17 साल पहले हुए मुंबई हमलों की साजिश के पूरे दायरे को समझा जा सके। एनआईए ने कहा कि राणा को विभिन्न स्थानों पर ले जाकर घटनाओं का पुनर्निर्माण करने की जरूरत है, जिससे आतंकी नेटवर्क की गहराई का पता लगाया जा सके। तहव्वुर राणा की ओर से दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के अधिवक्ता पीयूष सचदेवा ने प्रतिनिधित्व किया।
कोर्ट ने पहले राणा की हिरासत के दौरान कुछ शर्तें निर्धारित की थीं, जैसे हर 24 घंटे में उनकी मेडिकल जांच, वैकल्पिक दिनों में वकील से मुलाकात, और केवल “सॉफ्ट-टिप पेन” का उपयोग। इन शर्तों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एनआईए को निर्देश दिए गए थे।
राणा का प्रत्यर्पण और पृष्ठभूमि
64 वर्षीय तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया था। वे 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली (उर्फ दाऊद गिलानी) के करीबी सहयोगी माने जाते हैं। हेडली ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के लिए मुंबई हमलों की योजना और टोह लेने का काम किया था। एनआईए के अनुसार, राणा ने हेडली को वीजा प्राप्त करने और भारत में फर्जी पहचान बनाने में सहायता प्रदान की थी।
राणा को 10 अप्रैल 2025 को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद, विशेष एनआईए कोर्ट ने उन्हें 18 दिन की हिरासत में भेज दिया था। उनकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया लंबी और जटिल रही, जिसमें अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2024 में उनकी समीक्षा याचिका खारिज कर दी थी। फरवरी 2025 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उनके प्रत्यर्पण को अंतिम मंजूरी दी थी।
अतिरिक्त खुलासे: दिल्ली भी थी निशाने पर
हाल की सुनवाइयों में कोर्ट ने यह उल्लेख किया कि राणा ने मुंबई के अलावा नई दिल्ली को भी 26/11 जैसे हमलों के लिए लक्ष्य के रूप में चिह्नित किया था। विशेष एनआईए जज चंदर जीत सिंह ने 10 अप्रैल को अपने आदेश में कहा कि इस मामले में पर्याप्त सामग्री मौजूद है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि इस साजिश का दायरा भारत की भौगोलिक सीमाओं से परे है और कई शहरों में कई स्थान इसके निशाने पर थे।
एनआईए ने राणा के खिलाफ आपराधिक साजिश, भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने, हत्या, जालसाजी और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप दर्ज किए हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि राणा ने हेडली के साथ मिलकर आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (एचयूजेआई) के साथ मिलकर काम किया था।
परिवार से बातचीत की याचिका खारिज
इससे पहले, राणा ने अपनी हिरासत के दौरान परिवार से फोन पर बात करने की अनुमति मांगी थी। 19 अप्रैल को दायर इस याचिका में उनके वकील ने तर्क दिया कि एक विदेशी नागरिक के रूप में, उन्हें अपने परिवार से बात करने का मौलिक अधिकार है। हालांकि, एनआईए ने इस अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि जांच एक महत्वपूर्ण चरण में है और ऐसी बातचीत से “संवेदनशील जानकारी” लीक होने का खतरा है। 24 अप्रैल को कोर्ट ने राणा की इस याचिका को खारिज कर दिया, और विशेष जज ने कहा, “अनुमति नहीं दी जा सकती।”
सुरक्षा और जेल व्यवस्था
राणा की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं। उन्हें दिल्ली में एनआईए मुख्यालय के एक उच्च-सुरक्षा कक्ष में रखा गया है, जहां केवल 12 अधिकृत अधिकारियों को उनकी सेल तक पहुंच की अनुमति है। इनमें एनआईए महानिदेशक सदानंद दाते, आईजी आशीष बत्रा और डीआईजी जया रॉय शामिल हैं। राणा को मुंबई के आर्थर रोड जेल या दिल्ली के तिहाड़ जेल में स्थानांतरित करने पर विचार किया जा रहा है, और दोनों जेलों को उच्च-सुरक्षा कक्ष तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
साक्ष्य और जांच की दिशा
एनआईए ने कोर्ट को बताया कि राणा को कई सबूतों, जैसे ईमेल, रिकॉर्डेड आवाज के नमूने, तस्वीरें और वीडियो, से सामना कराया जाएगा। ये साक्ष्य उनके पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और आतंकी नेटवर्क से कथित संबंधों को स्थापित करने में मदद कर सकते हैं। जांच में यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या राणा ने अन्य भारतीय शहरों में समान आतंकी हमलों की योजना बनाई थी।
26/11 हमले का संक्षिप्त विवरण
26 नवंबर 2008 को, 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अरब सागर के रास्ते मुंबई में घुसपैठ की और शहर के कई प्रमुख स्थानों, जैसे छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ताज महल होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस, पर समन्वित हमले किए। इस लगभग 60 घंटे तक चले हमले में 166 लोग मारे गए और 238 से अधिक घायल हुए। इस हमले ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था को हिलाकर रख दिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की मांग को बढ़ाया।
निष्कर्ष
तहव्वुर राणा की हिरासत और जांच 26/11 हमलों के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। एनआईए की कोशिशें इस जटिल साजिश के हर पहलू को उजागर करने पर केंद्रित हैं, ताकि भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके। कोर्ट का आगामी फैसला इस मामले में अगले कदमों को निर्धारित करेगा।
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